आईपीएल 2025 में राजस्थान रॉयल्स (RR) की कहानी इस बार कुछ ज्यादा ही जल्दी खत्म हो गई। जयपुर में मुंबई इंडियंस से 100 रन की करारी हार के बाद RR प्लेऑफ की रेस से बाहर हो गई — और वो भी टूर्नामेंट के इतने अहम मोड़ पर। अब सवाल उठ रहे हैं कि गलती कहां हुई? क्या खराब रिटेंशन और ऑक्शन रणनीति ने राजस्थान की नैया डुबो दी?
120 करोड़ की थैली में से 79 करोड़ सिर्फ 6 खिलाड़ियों पर!
राजस्थान रॉयल्स ने इस सीजन की शुरुआत में कुल 120 करोड़ के पर्स में से 79 करोड़ खर्च कर दिए सिर्फ 6 खिलाड़ियों को रिटेन करने में: संजू सैमसन, यशस्वी जायसवाल, रियान पराग, ध्रुव जुरेल, शिमरोन हेटमायर और संदीप शर्मा।
पर उन्होंने जोस बटलर, युजवेंद्र चहल, रविचंद्रन अश्विन, ट्रेंट बोल्ट जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को ना सिर्फ छोड़ा बल्कि दोबारा खरीदने की भी कोशिश नहीं की।
क्रिकेट एक्सपर्ट आकाश चोपड़ा का कहना है, “अगर आप एक पूरी तरह भारतीय बल्लेबाजी लाइनअप के साथ जा रहे हैं, जिसमें सबसे सीनियर खिलाड़ी संजू सैमसन हैं, और एकमात्र विदेशी बल्लेबाज है शिमरोन हेटमायर जो नीचे खेलता है, तो क्या ये सही रणनीति थी?”
युवा जोश बनाम अनुभव की कमी
IPL को यूं तो युवाओं का खेल कहा जाता है, लेकिन अनुभव का कोई विकल्प नहीं होता। आकाश चोपड़ा ने सही सवाल उठाया — “जोस बटलर जैसे सीनियर खिलाड़ी टीम को बैलेंस देते थे, वही रोल अब किसके पास है?”
उन्होंने तुलना करते हुए कहा, “भारतीय टीम में भी सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पंड्या जैसे खिलाड़ी होते हैं जो टीम को संभालते हैं। RR में वैसा कोई नहीं दिखा।”
जुरेल और हेटमायर पर 25 करोड़ का खर्च – ज़रूरत या ज़्यादती?
चोपड़ा ने दो टूक कहा कि ध्रुव जुरेल और हेटमायर पर कुल 25 करोड़ खर्च करना एक बड़ी गलती थी। “अगर ये दोनों खिलाड़ियों को आप ऑक्शन में लाते तो 15-17 करोड़ में मिल जाते। इससे 8-10 करोड़ बचते जो बॉलिंग लाइनअप को मज़बूत करने में लग सकते थे।”
उन्होंने ये भी कहा कि टीम को भारतीय स्पिनरों में इन्वेस्ट करना चाहिए था, क्योंकि विदेशी स्पिनर का चलना हमेशा गारंटी नहीं होता — “वानिंदु हसरंगा बेहतरीन बॉलर हैं, लेकिन IPL में उनका परफॉर्मेंस औसत रहा है।”
बोलिंग लाइनअप में दम नहीं
अबिनव मुकुंद ने भी माना कि टीम की इंडियन बॉलिंग पिक्स पूरी तरह फ्लॉप रहीं। “तुषार देशपांडे को 6.5 करोड़ में खरीदा, लेकिन उन्हें इस अहम मैच में बेंच पर बैठा दिया गया।”
उन्होंने यह भी कहा कि “आपने आर्चर, हसरंगा, थीक्षाना जैसे नाम तो लिए, लेकिन किसी का भी परफॉर्मेंस कमाल का नहीं रहा। वहीं आपने चहल, अश्विन, बोल्ट, अवेश जैसे भरोसेमंद गेंदबाजों को छोड़ दिया।”
ऑलराउंडर की कमी भी पड़ी भारी
चोपड़ा ने एक और बड़ी कमी की ओर इशारा किया — ऑलराउंडर की। “Impact Player के बावजूद RR के पास छठे बॉलर का विकल्प नहीं था। रियान पराग 1-2 ओवर डाल देते थे, लेकिन क्या वो बेस्ट विकल्प थे?”
उन्होंने कहा, “टीम ने एक ऐसा ऑलराउंडर खरीदने की कोशिश ही नहीं की जो बैट और बॉल दोनों में मदद करे।”
निष्कर्ष: अनुभव की कीमत और सोच की गलती
राजस्थान रॉयल्स की टीम में टैलेंट की कोई कमी नहीं, लेकिन टैलेंट को सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए सोच और संतुलन की जरूरत होती है। इस बार अनुभव की अनदेखी, गलत रिटेंशन और खराब ऑक्शन रणनीति ने टीम को बहुत भारी नुकसान पहुंचाया।
अब टीम को अगले सीजन के लिए फिर से अपनी सोच और रणनीति पर काम करना होगा, वर्ना फिर से “कागज़ पर मजबूत, मैदान में कमजोर” वाली स्थिति बनती रहेगी।