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Aravind Srinivas का बयान- “YouTube और Google Maps को पछाड़ना आसान नहीं”

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025: सीख रही है कि डिजिटल-युग में प्लेटफॉर्म की शक्ति सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि नेटवर्क-एफ़ेक्ट में भी है – इसे स्पष्ट करते हुए Perplexity AI के सीईओ Aravind Srinivas ने कहा है कि YouTube और Google Maps जैसे उत्पाद “शायद ही कभी” किसी स्टार्ट-अप द्वारा पीछे छोड़े जा सकते हैं। उनके इस बयान ने भारतीय टेक-उद्यमों और डिजिटल सुधारकों में नया चर्चा-विषय खड़ा कर दिया है।

मुख्य बातें

  • Aravind Srinivas ने X (पूर्व Twitter) पर कहा: “YouTube और Maps सबसे कठिन। शायद असंभव।”
  • उन्होंने यह भी कहा कि इंटरनेट “बहुत महत्वपूर्ण है ताकि उसे सिर्फ Google के हाथों में छोड़ा जाए।”
  • इसके बाद भारत की मैपिंग कंपनी MapmyIndia ने तुरंत सहयोग का प्रस्ताव दिया है।
  • सन्दर्भ में, स्टार्ट-अप्स को दिखाने की कोशिश है कि Google-इकोसिस्टम के भीतर अल्टरनेटिव्स के लिए जगह कम है, खासकर जब नेटवर्क और डाटा-बेस की बात आए।

क्या हुआ

Aravind Srinivas ने हाल-ही में सोशल मीडिया पर एक यूजर-पोस्ट का जवाब दिया जिसमें लिखा था: “किसी स्टार्ट-अप के लिए Google इकोसिस्टम को हराना नामुमकिन है।” उन्होंने इस पोस्ट का समर्थन करते हुए लिखा:

“YouTube and Maps are the hardest. Maybe even impossible. The rest are hard but doable.”
इस बयान ने तुरंत टेक-मीडिया और इंडियन-स्वदेशी-सोच समूहों में हलचल मचा दी – क्यों कि भारत में ‘स्वदेशी अल्टरनेटिव्स’ की मांग पहले से मजबूत है।

वहीं MapmyIndia ने तुरंत X पर लिखा:

“हमने तीन दशक में घर-नंबर-स्तर की मैपिंग तैयार की है – @perplexity_ai के साथ काम करना अच्छा रहेगा।”
यह प्रस्ताव संकेत है कि भारतीय कंपनियाँ वैश्विक प्लेटफॉर्म-चुनौतियों में सहयोग-मॉडल तलाश रही हैं।

मूल बातें/आँकड़े

  • YouTube तथा Google Maps दोनों ही सिर्फ सिंगल-प्रोडक्ट नहीं, बल्कि बड़े नेटवर्क व प्लेटफॉर्म हैं जिनके अंदर करोड़ों-करोड़ों उपयोगकर्ता-डेटा, क्रिएटर-कम्युनिटी और खासी तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर हैं।
  • Srinivas की टिप्पणी इस समय आई है जब भारत सरकार ‘स्वदेशी टेक प्लेटफॉर्म्स’ को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ रही है, जिससे यह विषय भारतीय डिजिटल-नीति के लिए भी महत्व रखता है।
  • Perplexity AI, जो 2022 में स्थापित हुआ था, वर्तमान में एआई-सर्च/स्मार्ट-सर्च स्पेस में तेजी से उभर रहा है – लेकिन Srinivas स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि कुछ Google-उत्पादन अभी भी चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं।

बयान या प्रतिक्रियाएँ

Srinivas ने एक और पोस्ट में लिखा:

“Internet is too important to be left in Google’s hands.”
यह बयान संकेत देता है कि वे सिर्फ एक स्टार्ट-अप की बात नहीं कर रहे, बल्कि डिजिटल-सार्वजनिक-इन्फ्रास्ट्रक्चर की रणनीति-चिंतन कर रहे हैं।

MapmyIndia के प्रस्ताव के बाद टेक-एनालिस्ट्स ने कहा है कि यह “स्वदेशी-मैपिंग” एवं “स्थान-डेटा” जैसी क्षमताओं पर राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए एक संकेत है – कि अब भारत में सिर्फ मेटा-डेटा तैयार नहीं होगा, बल्कि स्थानीय-डेटा-इकोसिस्टम बढ़ेगा।

वर्तमान स्थिति / आगे क्या होगा

अब मुख्य प्रश्न यह है कि भारतीय या किसी अन्य स्टार्ट-अप क्या इस तरह के नेटवर्क-प्लेटफॉर्म (जैसे मैपिंग, वीडियो-हब) में Google-स्तर की गहराई तक जा सकते हैं – या इसके बजाय सहयोग-मॉडल अपनाएंगे। MapmyIndia- जैसी कंपनियों का Perplexity-सहयोग प्रस्ताव इस दिशा में पहला संकेत है।

आगे-आगे देखने योग्य पहलू होंगे:

  • क्या Perplexity या अन्य कंपनियाँ “मैपिंग/स्थान-डेटा” और “वीडियो-क्रिएशन/स्ट्रीमिंग” जैसे नेटवर्क-प्रोडक्ट्स में भागीदारी कर सकती हैं।
  • क्या वैश्विक-टेक प्लेटफॉर्म-दबाव के बीच भारत सरकार-नीति “स्वदेशी विकल्प” को सक्रिय रूप से समर्थन देगी।
  • और क्या Google स्वयं इन मोर्चों (Maps, YouTube) में प्रतिस्पर्धा की खुली संभावना स्वीकार करेगा – या नेटवर्क-चेन ‘एन्ट्रीनशिप’ को बंद रखना चाहेगा।

संदर्भ / पृष्ठभूमि: क्यों यह मायने रखता है

Google के Maps और YouTube जैसे प्लेटफॉर्म सिर्फ ऐप्स नहीं – बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र हैं जिनमें बहु-बillion उपयोगकर्ता, डेटा-लेयर्स, विज्ञापन-मॉडल, निर्माता-समुदाय और इंटरैक्शन-नेटवर्क शामिल हैं। एक नए प्लेटफॉर्म के लिए इस तरह की दीवार को पार करना स्वीकार्य नहीं है।

भारत में इस दृष्टि से यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि:

  • सरकार “डिजिटल-सवरनेignty” को बढ़ावा दे रही है, चाहिए वह प्लेटफॉर्म-चुनाव हो या डेटा-स्थानीकरण।
  • स्थानीय-डेटा-इकोसिस्टम विकसित करना आर्थिक-प्रतिस्पर्धा और तकनीकी-स्वायत्तता के लिए अहम माना जा रहा है।
  • नए AI-स्टार्ट-अप्स जैसे Perplexity यह दर्शा रहे हैं कि सिर्फ तकनीक उतरना पर्याप्त नहीं – नेटवर्क-डेटा, यूजर-एंगेजमेंट, और विश्वसनीयता भी उतने ही अहम हैं।

इसलिए Aravind Srinivas का बयान सिर्फ एक टिप्पणी नहीं – यह वैश्विक-टेक रणनीति, भारतीय-स्टार्ट-अप-परिस्थिति और डिजिटल-स्वायत्तता के संदर्भ में मील का पत्थर हो सकता है।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।