रुपया 10 पैसे मजबूत होकर 1 अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ₹87.78 पर बंद – क्या है इस बढ़त का मतलब?
नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2025।
भारतीय रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 10 पैसे की मजबूती के साथ ₹87.78 पर बंद हुआ। यह तेजी विदेशी मुद्रा बाजार के लिए थोड़ी राहत लेकर आई है, हालांकि निवेशक अब भी वैश्विक आर्थिक दबावों को लेकर सतर्क हैं।
मुख्य बातें:
- रुपया 10 पैसे की तेजी के साथ ₹87.78 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
- भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और क्रूड ऑयल की गिरती कीमतों ने रुपये को सहारा दिया।
- विदेशी निवेशकों की निकासी और डॉलर की मजबूती ने तेजी को सीमित किया।
- RBI ने 88 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर हस्तक्षेप कर मुद्रा को स्थिर रखा।
क्या हुआ
इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया आज ₹87.63 पर खुला और कारोबार के दौरान ₹87.85 तक गया। दिन के अंत में यह ₹87.78 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद स्तर से 10 पैसे अधिक है। अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता में सकारात्मक रुख और कच्चे तेल की गिरती कीमतों से रुपये को समर्थन मिला।
प्रमुख आंकड़े
- रुपया ₹87.78 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो पिछले दिन से 10 पैसे अधिक है।
- डॉलर इंडेक्स 99.03 पर पहुंचा, जो डॉलर की मजबूती को दर्शाता है।
- ब्रेंट क्रूड वायदा 0.11% गिरकर 65.92 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रही, लेकिन RBI ने हस्तक्षेप कर गिरावट रोकी।
बयान और प्रतिक्रियाएँ
एक वरिष्ठ मुद्रा विश्लेषक ने कहा –
“भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के सकारात्मक संकेतों और तेल की कीमतों में गिरावट से रुपये को राहत मिली है। हालांकि विदेशी पूंजी निकासी और डॉलर की मजबूती के चलते आगे का रास्ता आसान नहीं होगा।”
एक ट्रेजरी डीलर ने बताया –
“जैसे ही रुपया 88 के करीब पहुंचता है, RBI सक्रिय रूप से बाजार में दखल देता है ताकि मुद्रा स्थिर बनी रहे।”
आगे क्या होगा
रुपये की यह बढ़त अस्थायी हो सकती है क्योंकि निकट भविष्य में अमेरिकी महंगाई डेटा, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और कच्चे तेल के दाम इसकी दिशा तय करेंगे। अगर डॉलर दोबारा मजबूत हुआ या विदेशी पूंजी निकासी जारी रही, तो रुपया फिर दबाव में आ सकता है।
पृष्ठभूमि: क्यों मायने रखता है
रुपये की मजबूती या कमजोरी सीधे तौर पर भारत की आयात लागत, महंगाई, और आर्थिक संतुलन को प्रभावित करती है। भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है—डॉलर की मजबूती या तेल की कीमतों में वृद्धि रुपये को कमजोर करती है, जिससे आम उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ सकता है।
RBI का सक्रिय हस्तक्षेप संकेत देता है कि भारतीय रिजर्व बैंक रुपये को 88 के स्तर से नीचे नहीं जाने देना चाहता, ताकि मुद्रा बाजार में स्थिरता बनी रहे।
स्रोत: upstox, ptinews, hdfcsky, thehindu






