जब से ह्वांग डोंग ह्युक का रिकॉर्ड-तोड़ शो ‘स्क्विड गेम’ नेटफ्लिक्स पर आया, दुनिया इसकी कॉन्सेप्ट पर बहस करने से थमी नहीं है। हालाँकि ह्युक ने कभी नहीं माना कि कहानी देश के पुराने घोटालों से प्रेरित है, लेकिन उन्होंने यह ज़रूर कहा कि कुछ हिस्से उनके अपने जीवन के अनुभवों से आए हैं। और अब, नेटफ्लिक्स की नई डॉक्यू-सीरीज़ ‘द इकोज़ ऑफ़ सर्वाइवर्स: इनसाइड कोरिया ट्रेजेडीज़’ ने इस बहस को फिर से हवा दे दी है। खासकर इसके पहले अध्याय ने, जो ‘ब्रदर्स होम’ नाम की एक सुविधा पर केंद्रित है, जिसकी तुलना अक्सर एक रियल-लाइफ स्क्विड गेम से की जाती रही है।
वह सुविधा जो दरअसल एक जेल थी
स्क्विड गेम सीरीज़ में जिस तरह का द्वीप दिखाया गया था, दक्षिण कोरिया में ठीक वैसी ही एक जगह थी। बुसान शहर में स्थित ‘ब्रदर्स होम’ नाम का यह इंटर्नमेंट कैंप एक वेलफेयर सेंटर के तौर पर प्रचारित किया गया। लेकिन हकीकत यह थी कि यह सरकारी मान्यता प्राप्त एक ऐसा कैंप था, जहाँ हज़ारों लोगों को ग़ैर-क़ानूनी तरीके से रखा गया। सीएनएन जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे दुनिया की सबसे भयानक मानवाधिकार उल्लंघन वाली घटनाओं में से एक करार दिया।
सफ़ाई अभियान के नाम पर एक ऑपरेशन
यह कैंप 1975 से 1987 के बीच चला। उस वक्त कोरिया खुद को दुनिया के सामने एक गरीबी-मुक्त देश के रूप में पेश करना चाहता था, क्योंकि 1986 के एशियाई खेल और 1988 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक जैसे बड़े आयोजन होने वाले थे। इसी वजह से ‘सड़कों को शुद्ध करने’ के नाम पर एक मिशन चलाया गया। मुमकिन है कि यह मिशन अच्छे इरादों से शुरू हुआ हो, लेकिन इसके नतीजे बेहद भयावह थे।
कौन थे पीड़ित?
नेटफ्लिक्स की इस नई सीरीज़ में उस कैंप की सच्चाई दिखाई गई है। वहाँ रखे गए लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था, उनसे गुलामों जैसा काम लिया जाता था। पीड़ितों में बच्चे, महिलाएं, बेघर लोग, ऑफिस कर्मचारी तक शामिल थे। कुछ लोग तो वो थे जो शायद होटल में ज़्यादा शराब पीने के बाद सो गए थे, या फिर वो बच्चे थे जो अपने रिश्तेदारों के आने का इंतज़ार कर रहे थे। इन सभी को वाहनों में ठूंस-ठूंस कर ले जाया गया, जैसे कोई सामान हो।
एक सैन्य तानाशाही का दौर
यह सब उस वक्त हुआ जब देश एक सैन्य तानाशाही के अधीन था। शायद यही वजह थी कि इतने बड़े पैमाने पर अत्याचार की खबरें दबा दी गईं। लेकिन यह तानाशाही व्यवस्था ज़्यादा दिन नहीं चल पाई और जल्द ही इसे उखाड़ फेंका गया। तो कहा जा सकता है कि ब्रदर्स होम की त्रासदी ने कोरिया में लोकतंत्र की वापसी की राह भी कुछ आसान ज़रूर की होगी।
क्या है डॉक्यू-सीरीज़ में खास?
‘द इकोज़ ऑफ़ सर्वाइवर्स’ सीरीज़ सिर्फ़ ब्रदर्स होम की ही कहानी नहीं बताती। यह कोरिया के उन दर्दनाक हादसों पर एक व्यापक नज़र डालती है, जिन्हें अक्सर इतिहास के पन्नों में दबा दिया गया। लेकिन इसका पहला अध्याय विशेष रूप से चौंकाने वाला है क्योंकि यह दिखाता है कि कैसे एक सरकारी नीति इतनी भयानक त्रासदी में बदल गई।
स्क्विड गेम से तुलना: कितनी सही?
अब सवाल उठता है कि क्या स्क्विड गेम वाकई में इसी घटना से प्रेरित था? इसका जवाब शायद ह्वांग डोंग ह्युक ही दे पाएं। लेकिन इतना ज़रूर है कि दोनों की परिस्थितियों में हैरान कर देने वाली समानता है। दोनों ही जगहों पर वंचित तबके के लोगों को एक ऐसे गेम में धकेला गया जहाँ जीवन और मृत्यु का सवाल था। और दोनों ही मामलों में, एक बड़े लक्ष्य को पाने के नाम पर इंसानियत को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
नेटफ्लिक्स की यह डॉक्यू-सीरीज़ एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ की तरह है। यह उन पीड़ितों की आवाज़ है, जिन्हें दशकों तक चुप रहने के लिए मजबूर किया गया। शायद अब दुनिया उनकी कहानी सुनने और उनके दर्द को समझने के लिए तैयार है।