अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा फैसला लेते हुए भारत से आने वाले उत्पादों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है। इसका कारण उन्होंने भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की लगातार खरीद को बताया है। इस नए निर्णय के बाद भारत पर कुल शुल्क अब 50 प्रतिशत हो गया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव और गहरा गया है।
व्हाइट हाउस द्वारा जारी बयान के मुताबिक, यह कदम रूस के खिलाफ पहले से लगे प्रतिबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि भारत द्वारा रूस से सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से तेल खरीदना अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के लिए खतरा है।
आदेश में कहा गया है:
“तदनुसार, और लागू कानूनों के अनुसार, भारत से आयातित वस्तुएं अब संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश के समय 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क के अधीन होंगी।”
कब से लागू होगा यह नया शुल्क?
यह टैरिफ आदेश पर हस्ताक्षर के 21 दिनों बाद से लागू होगा। हालांकि, उन वस्तुओं को छूट दी गई है जो इस समय ट्रांजिट में हैं और 17 सितंबर से पहले अमेरिका में पहुंच जाएंगी।
आदेश के अनुसार,
“यह शुल्क उन सभी वस्तुओं पर लागू होगा जो 21 दिनों के बाद अमेरिका में उपभोग के लिए प्रवेश करती हैं या वेयरहाउस से निकाली जाती हैं, सिवाय उन वस्तुओं के जो पहले से ट्रांजिट में हैं और 17 सितंबर, सुबह 12:01 बजे EDT से पहले पहुंच जाती हैं।”
क्या सभी वस्तुएं प्रभावित होंगी?
नहीं, कुछ विशेष श्रेणियों की वस्तुएं पहले से मौजूद छूट आदेशों के तहत इस शुल्क से बाहर रहेंगी। हालांकि, बाकी वस्तुओं को अमेरिकी सीमा शुल्क के सख्त नियमों का पालन करना होगा और “प्रिविलेज्ड फॉरेन स्टेटस” में विदेशी व्यापार ज़ोन में दाखिल होना होगा।
ट्रंप ने दी चेतावनी – और भी देश होंगे निशाने पर
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी संकेत दिया है कि यदि अन्य देश भी रूस से तेल की खरीद जारी रखते हैं, तो उन पर भी इसी तरह की सख्ती की जा सकती है। अमेरिका के वाणिज्य विभाग, विदेश विभाग, और वित्त मंत्रालय को आदेश दिया गया है कि वे रूस के साथ अन्य देशों के तेल व्यापार की निगरानी करें और आवश्यकता पड़ने पर इसी तरह की सिफारिश करें।
यह कदम ऐसे समय पर आया है जब भारत और अमेरिका के संबंधों में व्यापार और भू-राजनीतिक मतभेदों को लेकर पहले से ही खिंचाव है। अब देखना होगा कि भारत इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देता है और यह फैसला दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को कितना प्रभावित करता है।