नई दिल्ली (6 अगस्त 2025):
दिल्ली हाईकोर्ट में एक अहम याचिका दायर की गई है, जिसमें महिलाओं को संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा (CDS) के माध्यम से भारतीय सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन अधिकारी बनने की अनुमति देने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र से इसका जवाब तलब किया। याचिका में कहा गया है कि अगर महिलाओं को CDS के जरिए सेना में प्रवेश से रोका गया, तो देश ‘कर्नल सोफिया कुरैशी’ जैसे कुशल अधिकारियों से वंचित रह जाएगा। कर्नल सोफिया को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान उनके योगदान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया था।
यह याचिका कुश कालरा नामक याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि महिलाओं को CDS के जरिए सेना में भर्ती से रोकना, संविधान के तहत मिले मौलिक अधिकार — किसी भी पेशे को चुनने और अपनाने के अधिकार — का उल्लंघन है।
याचिका में आगे कहा गया है कि,
“सेना में स्थायी कमीशन अधिकारी की भूमिका भारत में सबसे प्रतिष्ठित और रोमांचक नौकरियों में से एक मानी जाती है। ऐसे में महिलाओं को इस पेशे से वंचित करना, उनके मौलिक अधिकारों का सीधा हनन है।”
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के सेना में प्रवेश को लेकर कई सकारात्मक पहलें हुई हैं, लेकिन अभी भी CDS के माध्यम से महिलाओं को स्थायी कमीशन के लिए मौका नहीं दिया जाता, जो इस याचिका का मूल मुद्दा है।
अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार इस याचिका पर क्या रुख अपनाती है और क्या महिलाओं को CDS के जरिए सशस्त्र बलों में प्रवेश का समान अवसर मिलेगा।