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महाराष्ट्र में 58 करोड़ रुपये के “डिजिटल अर्रेस्ट” घोटाले में मुंबई-गठजोड़ का खुलासा, तीन देशों से जुड़ी पैसों की गैंग

मुंबई, 10 नवंबर 2025: मुंबई में एक 72 वर्षीय व्यवसायी के साथ हुए 58 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड मामले में Maharashtra Cyber Police ने पैसों की अंतरराष्ट्रीय लेन-देन का खुलासा किया है। बैंक खातों से क्रिप्टो करेंसी में पैसे ट्रांसफर कर, अपराधियों ने तीन देशों – हाँगकाँग, चीन व इंडोनेशिया – को लिंकट पाया है।

मुख्य बातें

  • एक वरिष्ठ व्यवसायी को “डिजिटल अर्रेस्ट” बताते हुए लगभग ₹58 करोड़ का नुकसान हुआ।
  • महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने अब तक 26 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं व कई म्यूल बैंक खातों को फ्रीज किया है।
  • पैसों का ट्रेल तीन देशों – हाँगकाँग, चीन और इंडोनेशिया – तक फैला हुआ निकल आया है।
  • फ्रॉड में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग कर राशि विदेशों में ट्रांसफर की गई, जिससे ट्रैक करना मुश्किल हो गया।
  • बुलाये गए नकली अधिकारी वीडियो कॉल द्वारा पीड़ित को डराकर उसके बैंक खाते से राशि निकालने में सफल हुए।

क्या हुआ था

मुंबई में रहने वाले 72 वर्षीय व्यवसायी को अगस्त-अक्टूबर 2025 के बीच एक अंतरराष्ट्रीय व्हाट्सऐप वीडियो कॉल के माध्यम से संपर्क किया गया। अपराधियों ने खुद को Enforcement Directorate और Central Bureau of Investigation के अधिकारी बताकर उनके मोबाइल नंबर और बैंक खाते को मनी लॉन्डरिंग से जोड़ा गया बताया। भयभीत पीड़ित ने दबाव में आकर लगभग ₹58.13 करोड़ अपने व उनकी पत्नी के नाम विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए।

ट्रांसफ़र के बाद साइबर पुलिस ने मामला दर्ज कर बैंक खातों तथा क्रिप्टो वॉलेट्स की जानकारी जुटाना शुरू किया। जांच में सामने आया कि फ्रॉड ने बैंक खातों से राशि निकालने के तुरंत बाद उसे क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से विदेश भेजा।

तथ्यों की झड़ी

  • इस मामले में शिकायतकर्ता के अनुसार लगभग 40 दिनों में राशि ट्रांसफर की गई।
  • अपराधियों द्वारा 6,500 से भी ज़्यादा म्यूल बैंक खाते 13 स्तरों पर खोलकर उपयोग किए गए।
  • पकड़े गए अभियुक्तों के बैंक खातों और डिजिटल वॉलेट्स की जाँच चल रही है; विदेशी एजेंसियों से डेटा अनुरोध भेजा गया है।
  • मामला सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है-पूरी तरह एक बड़ी साइबर फ्रॉड नेटवर्क का हिस्सा माना जा रहा है जो भारत में पिछले एक वर्ष से सक्रिय है, लगभग ₹2,000 करोड़ के फ्रॉड्स से जुड़ा।

प्रतिक्रियाएँ

महाराष्ट्र साइबर पुलिस के अधिकारी ने कहा है कि इस तरह का “डिजिटल अर्रेस्ट” फ्रॉड तेजी से बढ़ रहा है और इसका रूपको – क्रिप्टो व विदेश ट्रांसफर के माध्यम से लेनदेन करना इसे और जटिल बना देता है। कोर्ट ने इस घोटाले में छह आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज किया है, यह देखते हुए कि राशि बहुत बड़ी है तथा आरोपियों द्वारा बैंक खाते अपराध में इस्तेमाल किए गए।

वर्तमान स्थिति / आगे क्या होगा

अभी तक 26 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और कई म्यूल खाते फ्रीज किए गए हैं। लेकिन मुख्य संचालकों और विदेशी नेटवर्क को अभी तक पूरी तरह पकड़ा नहीं गया है। विदेशों में स्थित वॉलेट्स और बैंक खातें जटिलता बढ़ा रहे हैं। होगा यह कि:

  • विदेशी एजेंसियों के साथ समन्वय बढ़ाया जाएगा ताकि हाँगकाँग, चीन, इंडोनेशिया में ट्रांसफर की गई राशि को ट्रेस कर सकें।
  • पीड़ितों को सूचना सुरक्षा और साइबर जागरूकता कार्यक्रमों के जरिये अलर्ट किया जाएगा ताकि इस तरह के “डिजिटल अर्रेस्ट” फ्रॉड से बचाव हो सके।
  • बैंकिंग और क्रिप्टो प्लेटफॉर्म पर म्यूल खातों की निगरानी तगड़ी की जाएगी ताकि बड़ी रकम अचानक ट्रांसफर न हो सके।

संदर्भ/पृष्ठभूमि

“डिजिटल अर्रेस्ट” एक सीमित अवधि में तेजी से फैलने वाला साइबर फ्रॉड मॉडल है जिसमें अपराधी वीडियो कॉल, व्हाट्सऐप कॉल आदि द्वारा खुद को सरकारी एजेंसियों के अधिकारी बताकर पीड़ित को डराकर बैंक ट्रांसफर करवाते हैं। इस तरह के मामले सिर्फ महाराष्ट्र में नहीं बल्कि देश भर में सामने आए हैं, जिससे आम नागरिकों विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों की आशंकाएं बढ़ गई हैं। उदाहरण के लिए, हाल ही में कर्नाटक, ओडिशा आदि राज्यों में भी ऐसे फ्रॉड्स पकड़े गए हैं।

इस प्रकार यह मामला महत्व रखता है क्योंकि यह दिखाता है कि साइबर फ्रॉड अब सिर्फ देशांतर्गत नहीं रहा बल्कि अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से संचालित हो रहा है; पैसे को तुरंत क्रिप्टो वॉलेट्स में ट्रांसफर कर विदेश भेजना इसे और चुनौतीपूर्ण बनाता है।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।