भारत के युवा सितारे वैभव सूर्यवंशी ने फिर जड़ा शतक
शनिवार को हुए भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे यूथ वनडे मैच में 14 साल के वैभव सूर्यवंशी ने एक बार फिर धमाकेदार पारी खेली। सिर्फ 52 गेंदों में शतक जड़ने वाले इस युवा बल्लेबाज ने अपनी पारी में 7 छक्के और 10 चौके लगाए। यह उनके करियर का दूसरा यूथ वनडे शतक है, और ऐसा लगता है कि यह सिलसिला अभी थमने वाला नहीं।
ऐसा रहा सफर
वैभव ने पहली बार सुर्खियां अक्टूबर 2024 में बटोरी थीं, जब उन्होंने चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यूथ टेस्ट में 62 गेंदों में 104 रन बनाए। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शतक लगाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी।
एक महीने बाद, आईपीएल नीलामी में राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें 1.1 करोड़ रुपये में खरीदा। यह कीमत शायद उनकी प्रतिभा को देखते हुए कम ही थी, क्योंकि इस साल आईपीएल में उन्होंने गुजरात टाइटंस के खिलाफ सिर्फ 35 गेंदों में शतक जड़कर इतिहास रच दिया। यह किसी भारतीय द्वारा आईपीएल में सबसे तेज शतक था।
इंग्लैंड के खिलाफ धमाकेदार प्रदर्शन
पिछले मैच में भी वैभव ने अपनी तूफानी बल्लेबाजी से सबको हैरान कर दिया। बारिश से प्रभावित 40 ओवर के मैच में इंग्लैंड ने 268 रन बनाए। कप्तान थॉमस रेव के 44 गेंदों में 76 रनों ने टीम को मजबूत स्कोर दिलाया। लेकिन भारत की जीत में सबसे बड़ा योगदान वैभव का ही रहा।
उन्होंने सिर्फ 20 गेंदों में अर्धशतक पूरा किया और 31 गेंदों में 86 रन बनाकर मैच का रुख ही बदल दिया। उनकी इस पारी में 9 छक्के और 6 चौके शामिल थे। यह उनका यूथ वनडे करियर का अब तक का सर्वोच्च स्कोर है। भारत ने यह मुकाबला 34.3 ओवर में ही जीत लिया।
रिकॉर्ड्स की बारिश
वैभव का 20 गेंदों में अर्धशतक भारतीय युवा वनडे इतिहास में दूसरा सबसे तेज है। रिशभ पंत ने 2016 में नेपाल के खिलाफ 18 गेंदों में अर्धशतक बनाया था। वहीं, एक पारी में 9 छक्के लगाने का कारनामा करके वैभव ने राज अंगद बावा और मनदीप सिंह के संयुक्त रिकॉर्ड (8 छक्के) को तोड़ दिया।
दिलचस्प बात यह है कि वैभव ने अपने 86 रनों में से 78 रन सिर्फ चौकों और छक्कों से बनाए। यानी उनके कुल स्कोर का 90.69% रन बाउंड्रीज से आए। भारत के लिए यूथ वनडे में केवल तीन बल्लेबाजों – पंत, सरफराज खान और मनन वोहरा – ने इससे ज्यादा प्रतिशत में बाउंड्रीज से रन बनाए हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
क्रिकेट विश्लेषकों का मानना है कि वैभव में वह सब कुछ है जो एक बेहतरीन बल्लेबाज को चाहिए। उनकी टाइमिंग, शॉट सिलेक्शन और गेंद को हिट करने का तरीका कई वरिष्ठ खिलाड़ियों से बेहतर है। हालांकि, कुछ लोगों को चिंता है कि कहीं इतनी कम उम्र में इतनी प्रसिद्धि उन पर नकारात्मक असर न डाल दे।
लेकिन वैभव अब तक इन सबसे बेखबर सिर्फ अपने खेल पर ध्यान दे रहे हैं। उनका लक्ष्य साफ है – जितना हो सके उतना सीखना और सुधारना। और शायद यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
आगे क्या?
अगर वैभव इसी तरह प्रदर्शन करते रहे, तो जल्द ही हम उन्हें सीनियर टीम में देख सकते हैं। हालांकि, टीम इंडिया के चयनकर्ता शायद उन पर जल्दबाजी नहीं करना चाहेंगे। फिलहाल, उनके लिए यूथ क्रिकेट में अनुभव जमा करना और आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करना ही प्राथमिकता होगी।
एक बात तो तय है – भारतीय क्रिकेट को एक नया सितारा मिल गया है। और यह सितारा अभी और चमकेगा, इसमें कोई शक नहीं।